असम का ये गांव बना मिसाल, यहां सभी लोग बोलते हैं संस्कृत भाषा !
ये सुन कर आपको ही हैरानी होगी की असम का एक गांव जो 'संस्कृत गांव' के रूप में प्रसिद्ध होता जा रहा है , क्योंकि यहां के सभी लोग 2015 से ये प्राचीन और शास्त्रीय भाषा बोल रहे हैं।
ये सुन कर आपको ही हैरानी होगी की असम का एक गांव जो ‘संस्कृत गांव’ के रूप में प्रसिद्ध होता जा रहा है , क्योंकि यहां के सभी लोग 2015 से ये प्राचीन और शास्त्रीय भाषा बोल रहे हैं। करीमगंज के रतबारी विधानसभा क्षेत्र के गांव पटियाला में बच्चों और बड़ों सहित हर एक व्यक्ति संस्कृत भाषा में एक दूसरे के साथ संवाद करता है। गांव में लगभग 60 परिवार हैं, जिनमें लगभग 300 लोग शामिल हैं जो खुशी-खुशी संस्कृत बोलते हैं।
2015 में संस्कृत भारती के दौरे से हुई भाषा बोलने की शुरुआत !
ग्रामीण आने वाली पीढ़ियों को इस भाषा में बोलने के लिए प्रोत्साहित कर बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका मानना है कि ये भाषा लोगों द्वारा पर्याप्त रूप से नहीं बोली जाती है। ग्रामीण नियमित ‘योग शिविर’ भी आयोजित करते हैं। इस गांव के निवासी योग शिक्षक दीप नाथ ने कहा कि उन्होंने 2013 में योग शिविर की शुरुआत की थी और उसके बाद 2015 में संस्कृत भारती के कार्यकर्ताओं ने गांव का दौरा किया।
दीप नाथ ने कहा कि 2015 में जब हमारे गांव में एक संस्कृत शिविर का आयोजन किया गया था, तभी से हमने संस्कृत बोलना सीखा और अब यहां हर व्यक्ति यही भाषा बोलता है। हमारे गांव में 60 परिवार हैं, जो अपने बच्चों के साथ बातचीत में इस प्राचीन भाषा का उपयोग करते हैं। योग शिक्षक और गांव निवासी दीप नाथ ने कहा कि वे अपनी संस्कृति को नई पीढ़ियों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।
आगे बताया कि योग शिविरों का आयोजन नियमित रूप से सुबह 5 बजे से सुबह 7 बजे तक करा जाता है और यहां हर निर्देश संस्कृत में दिया जाता है। उन्होंने कहा कि हम हर महीने गायत्री यज्ञ का भी आयोजन करते हैं जिसमें हर निवासी भाग लेता है। नाथ ने यह भी कहा कि यहां के ज्यादातर ग्रामीण खेती से जुड़े हैं और 15 लोग नौकरी करते हैं। दीप नाथ ने यह भी कहा कि अनीपुरबस्ती नाम का एक और गांव है, जहां लोगों ने इस प्राचीन भाषा में बोलने के लिए इसी तरह के तरीकों को अपनाया है।