राष्ट्रीय बालिका दिवस : मैं चार किताबें पढ़ सकती हूं ।। मुझे आने से अब मत रोको। मैं कोने में पल सकती हूं ।।

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By AMAN KUMAR SIDDHU

राष्ट्रीय बालिका दिवस : मैं चार किताबें पढ़ सकती हूं ।। मुझे आने से अब मत रोको। मैं कोने में पल सकती हूं ।।

AMAN KUMAR SIDDHU

राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर हसनपुर के मशहूर अधिवक्ता, कवि और साहित्यकार मुजाहिद चौधरी ने देश और दुनिया की
बालिकाओं को संदेश देते हुए उन्हें समर्पित एक रचना प्रस्तुत की….

 

*मैं तन्हा भी चल सकती हूं । मैं बेटी हूं लड़ सकती हूं ।। अपनी दुनिया में आने दो ।
मैं चार किताबें पढ़ सकती हूं ।। मुझे आने से अब मत रोको। मैं कोने में पल सकती हूं ।।
मुझे प्यार मिले या फिर नफरत । फिर भी खिदमत कर सकती हूं ।। मैं भारत मां की बेटी हूं । देश की सेवा कर सकती हूं ।। छोड़ के रस्में दुनिया की । मैं मंजिल तक चल सकती हूं ।। मां-बाप की इज्जत की खातिर । मैं हद से गुजर सकती हूं ।। मुझ में हिम्मत की कमी नहीं । मैं चंदा पर चढ़ सकती हूं ।। मुझे जीवन दो मुझे मौका दो । मैं नाम भी रोशन कर सकती हूं ‌‌‌‌‌।।

मैं एक कली मासूम सी हूं । खुशबू से तर कर सकती हूं ।। यूं तो छोटा सा दीपक हूं । जग को रोशन कर सकती हूं ।।
मैं एक मुजाहिद सेवक हूं । जग को अपना कर सकती हूं ।।

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