देवभूमि (उत्तराखंड)

पुलवामा हमला : उत्तराखंड के दो मेजर सहित चार जवान हुए थे शहीद

Pulwama attack: Four soldiers including two majors of Uttarakhand were martyred

आज का दिन यानि 14 फरवरी कौन नहीं जनता 14 फरवरी को हमले में देहरादून के मोहनलाल रतूड़ी और ऊधमसिंह नगर के विरेंद्र सिंह ने प्राणों की आहुति दी थी। वहीं, इसके बाद चले एनकाउंटर में मेजर विभूति ढौंडियाल और मेजर चित्रेश बिष्ट शहीद हो गए थे। आपको बतादें कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में वर्ष 2019 में हुए आतंकी हमले में उत्तराखंड के भी दो मेजर समेत चार जवानों ने शहादत दी थी।

वहीँ दूसरी ओर 14 फरवरी को हमले में देहरादून के मोहनलाल रतूड़ी और ऊधमसिंह नगर के विरेंद्र सिंह ने प्राणों की आहुति दी थी। वहीं, इसके बाद चले एनकाउंटर में मेजर विभूति ढौंडियाल और मेजर चित्रेश बिष्ट शहीद हो गए थे।

परिवार को शहादत पर गर्व

आपको बतादे कि देहरादून निवासी मोहनलाल रतूड़ी के परिवार को गम तो है कि उनका संरक्षक उनके साथ नहीं है, लेकिन उन्हें गर्व भी है कि उन्होंने देश के लिए शहादत दी। यही वजह है कि आज मोहनलाल का परिवार मजबूत हौसलों के साथ आगे बढ़ रहा है। मोहनलाल के बेटे श्रीराम का जज्बा तो काबिले तारीफ है। वह पिता की तरह ही सेना में अधिकारी बनकर देश की सेवा करना चाहते हैं। मोहनलाल 1988 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। परिवार में उनकी पत्नी सरिता तीन बेटियां और दो बेटे हैं। सबसे बड़ी बेटी अनुसूया की शादी हो चुकी है। दूसरी बेटी वैष्णवी डीएवी पीजी कॉलेज से बीएससी कर रही है। तीसरी बेटी गंगा कोटा में मेडिकल की कोचिंग कर रही है। बड़े बेटे शंकर को सरकारी नौकरी मिल चुकी है।

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छुट्टी बिताकर दो दिन पहले ही लौटते थे वीरेंद्र

वहीँ दूसरी ओर पुलवामा में हुए आतंकी हमले में उत्तराखंड के वीरेंद्र सिंह शहीद हो गए थे। शहीद वीरेंद्र सिंह उधमसिंह नगर जिले के खटीमा के मोहम्मदपुर भुढ़िया गांव के रहने वाले थे। उनके दो छोटे बच्चे हैं। शहीद वीरेंद्र सिंह राणा के पिता का नाम दीवान सिंह है। शहीद वीरेंद्र सिंह के दो बड़े भाई जय राम सिंह व राजेश राणा हैं। जयराम सिंह बीएसएफ के रिटायर्ड सूबेदार हैं, जबकि राजेश राणा घर में खेती बाड़ी का काम देखते हैं। वीरेंद्र हमले के दो दिन पहले ही 20 दिन की छुट्टी बिताने के बाद जम्मू के लिए रवाना हुए थे। वीरेंद्र सिंह सीआरपीएफ की 45वीं बटालियन में जम्मू-कश्मीर में तैनात थे।

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शादी से कुछ दिन पहले ही मेजर चित्रेश बिष्ट शहीद हुए थे

आपको बताते चले कि आतंकी हमले के बाद चले सर्च ऑपरेशन में आईईडी ब्लास्ट में 16 फरवरी को सरहद की रक्षा करते हुए मेजर चित्रेश बिष्ट शहीद हो गए थे। मेजर चित्रेश की शहादत की खबर उस समय आई जबकि उनके घर पर शादी की तैयारियां चल रही थीं। क्योंकि मेजर चित्रेश की शादी सात मार्च 2019 को होनी थी इसलिए शादी के कार्ड भी बंट चुके थे। इससे पहले दून का यह लाल देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गया। मेजर चित्रेश को मरणोपरांत सेना मेडल (गैलेंट्री) मिला जो कि सेना दिवस पर सेना प्रमुख से उनके पिता ने प्राप्त किया था। शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट दून के ओल्ड नेहरू कॉलोनी के रहने वाले थे। उनके पिता सुरेंद्र सिंह बिष्ट उत्तराखंड पुलिस से इंस्पेक्टर पद से रिटायर हैं। सरहद पर शहादत के दौरान मेजर चित्रेश की उम्र 28 साल की थी। भारतीय सैन्य अकादमी से सैन्य प्रशिक्षण पूरा कर वह वर्ष 2010 में पास आउट हुए थे।

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बचपन से सेना में जाना चाहते थे मेजर विभूति ढौंडियाल

जी हाँ पुलवामा में आतंकी हमले के बाद चले सर्च ऑपरेशन में 18 फरवरी को देहरादून के मेजर विभूति ढौंडियाल भी शहीद हुए थे। अपनी शादी की पहली सालगिरह पर उन्होंने घर आने का वादा किया था, लेकिन घर उनका तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर आया। विभूति के पिता स्व. ओमप्रकाश ढौंडियाल के चार बच्चे थे। इनमें तीन बेटियां और सबसे छोटा बेटा था। विभूति की सबसे बड़ी बहन पूजा की शादी हो चुकी है। उनके पति सेना में कर्नल हैं। उनसे छोटी बहन प्रियंका शादी के बाद अमेरिका में रहती हैं। तीसरी बहन वैष्णवी अविवाहित हैं। वह देहरादून के एक स्कूल में पढ़ाती हैं। वर्तमान में विभूति के घर में मां, पत्नी और एक अविवाहित बहन हैं। उनकी पत्नी सेना में भर्ती हो चुकी हैं। शहीद मेजर विभूति को बचपन से ही सेना में जाने का जुनून था। कक्षा सात से ही विभूति ने सेना में जाने की कोशिशें शुरू कर दी थीं। उन्होंने वर्ष 2000 में सेंट जोसेफ एकेडमी से 10वीं और 2002 में पाइन हाल स्कूल से 12वीं पास की। इसके बाद उन्होंने डीएवी कॉलेज से बीएससी पास की। जब वे सातवीं कक्षा में थे तब उन्होंने राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज में भर्ती की परीक्षा दी। लेकिन चयन नहीं हुआ। 12वीं में एनडीए की परीक्षा दी। लेकिन, चयन नहीं हुआ। ग्रेजुएशन के बाद उनका चयन हुआ और ओटीए चेन्नई में प्रशिक्षण हासिल किया। वर्ष 2012 में पासआउट होकर उन्होंने कमीशन प्राप्त किया।

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Source Amarujala

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