शायद पुलिस कार्रवाई करती तो नहीं होती विश्व हिंदू सेवा दल के जिलाध्यक्ष की हत्या, दो बार शिकायत करने के उपरांत भी पुलिस ने नही की थी आरोपियों के खिलाफ कार्यवाई,
दो बार शिकायत करने के उपरांत भी पुलिस ने नही की थी आरोपियों के खिलाफ कार्यवाई,
शायद पुलिस कार्रवाई करती तो नहीं होती विश्व हिंदू सेवा दल के जिलाध्यक्ष की हत्या, दो बार शिकायत करने के उपरांत भी पुलिस ने नही की थी आरोपियों के खिलाफ कार्यवाई,
जयकिशन सैनी (समर इंडिया)
बदायूँ। मूसाझाग थाना क्षेत्र में शनिवार को विश्व हिंदू सेवा दल के जिलाध्यक्ष प्रदीप कश्यप की हत्या के बाद उनके परिवारवालों में पुलिस को लेकर गुस्सा दिखा। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदीप एक नहीं दो बार आरोपियों के खिलाफ शिकायत कर चुके थे पर पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। पुलिस सुनती तो शायद उसकी हत्या नहीं होती।ग्राम गिधौल निवासी प्रदीप खेतीबाड़ी करते थे। परिवारवालों के मुताबिक वह लोगों के ट्यूबवेल के कनेक्शन भी कराते थे। प्रदीप ने इस बार प्रधानी का चुनाव भी लड़ा था लेकिन हार गए। उनका किसी से विवाद नहीं था लेकिन मानसिंह और धीरेंद्र का विवाद सुलझाना ही रंजिश का कारण बन गया। उनके भाई उमेश ने बताया कि उनकी ग्राम पंचायत में आठ गांव हैं। राशन की दो दुकानें हैं। कमालपुर की दुकान मान सिंह के नाम थी लेकिन वह दुकान मर्रई गांव पहुंच गई। उसमें धीरेंद्र का हाथ था। मानसिंह और धीरेंद्र के बीच रुपयों को लेकर विवाद चल रहा था। करीब दो माह पहले धीरेंद्र और प्रदीप में विवाद हुआ था। तब प्रदीप ने जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत की थी। उनका एक पूर्व विधायक ने फैसला करा दिया था। 16 नवंबर को फिर विवाद हुआ। प्रदीप ने उसकी भी तहरीर दी लेकिन पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। हत्या के बाद जब एसएसपी मौके पर पहुंचे, तब पिछले शिकायती पत्र परिवार वालों ने उनको दिखाए। इस पर एसएसपी डॉ. ओपी सिंह ने प्रभारी निरीक्षक राजेश कुमार को फटकार भी लगाई।
तमंचे ने उलझाया केस: कार लॉक करके जेब में रखी थी चॉबी:- इस हत्याकांड में पुलिस को कई ऐसी चीजें मिलीं हैं, जिससे पूरा हत्याकांड ही उलझ गया है। एक तो घटनास्थल पर मिले तमंचे से तमाम सवाल उठ रहे हैं। इसके अलावा कार लॉक खड़ी थी। उसकी चॉबी प्रदीप की पैंट की पिछली जेब में थी। उसके शरीर पर कोई खींचतान के निशान नहीं मिले हैं और न ही कार जबरन रुकवाने की पुष्टि हुई है।
नामजदों में पूर्व विधायक के मौसा भी शामिल:- प्रदीप के भाई रुकुम सिंह ने हत्या के आरोप में मुख्य आरोपी धीरेंद्र और उसके भाई फुलवारी को बनाया है। इसके अलावा उन्होंने शेखूपुर से भाजपा के पूर्व विधायक धर्मेंद्र शाक्य के मौसा एवं सिंचाई विभाग से सेवानिवृत्त कर्मचारी बाबू सिंह को भी नामजद किया है। इसमें चौथा नाम राजेंद्र कोटेदार और पांचवां आरोपी ककराला का मूल निवासी सतेंद्र है। सतेंद्र इस समय गिधौल में ही रह रहा है।