(Nikay Chunav-2023) बदायूं की इस सीट पर सपा-भाजपा में मुकाबले के आसार, बसपा समीकरण बिगाड़ने को तैयार-

(Nikay Chunav-2023) बदायूं की इस सीट पर सपा-भाजपा में मुकाबले के आसार, बसपा समीकरण बिगाड़ने को तैयार-
बदायूँ। उझानी नगर पालिका सीट पर इस बार मुकाबला रोचक होने के आसार हैं। सीधे तौर पर लड़ाई भाजपा और सपा के बीच मानी जा रही है, लेकिन बसपा दोनों में किसी भी दल के प्रत्याशी के समीकरण बिगाड़ सकती है। इसकी मुख्य वजह मुस्लिम वोट हैं। बसपा से प्रत्याशी के रूप में मुस्लिम चेहरा सामने आया तो सपा और अगर वैश्य वर्ग के प्रत्याशी पर दांव खेला गया तो भाजपा के चुनावी समीकरण गड़बड़ा जाएंगे।
वर्ष-1911 में सुपर सीट के साथ अस्तित्व में आई उझानी नगर पालिका परिषद में इस वक्त 52844 मतदाता हैं। यहां सभी समुदाय और जातियों के लोग रहते हैं, लेकिन किसी एक समुदाय के कुल वोटों पर गौर करें तो मुस्लिम वोट करीब 18 हजार बताया जा रहा है। पिछले कुछेक दिनों से जो तस्वीर दिखाई दे रही है, उसके अनुसार भाजपा और सपा से वैश्य समुदाय का प्रत्याशी होगा। ऐसा पिछले चुनाव में भी हुआ था, लेकिन तब पूनम अग्रवाल सपा से लड़ी थीं। उन्हें मुस्लिम समुदाय का सर्वाधिक वोट मिला था।
पिछले चुनाव नहीं उतारा था मुस्लिम प्रत्याशी:- पिछले चुनाव में किसी भी प्रमुख दल ने मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा था। वर्ष-2012 के चुनाव में बसपा ने डॉ. नईमउद्दीन की पत्नी रानी शबा को प्रत्याशी बनाया था। उन्हें करीब 57 सौ वोट मिले थे। करीब दो दशक की राजनीति में बसपा से रानी शबा ने ही सर्वाधिक वोट पाए थे। स्थानीय राजनीति के जानकार वोट बैंक के गणित को लेकर कहते हैं कि मुस्लिम और वैश्य वर्ग के वोटों में किसी एक में सेंध लगाने के लिए बसपा अपनी नई रणनीति पर विचार कर सकती है।मसलन, बसपा ने अगर किसी वैश्य को टिकट दिया तो भाजपा को नुकसान होगा और मुस्लिम प्रत्याशी उतारा तो सपा का मुस्लिम-यादव समीकरण का आधार कमजोर पड़ जाएगा। चुनावी गणित को साधने के लिए भाजपा और सपा की ओर से नये विकल्पों पर भी गौर किया जा रहा है। दोनों ही दल छोटे-छोटे थोक वाले वोट बैंक को अपनी ओर करने के लिए कोई कसर नहीं छोडेंगे। बसपा प्रत्याशी वैश्य या फिर मुस्लिम में से कोई भी हो, लेकिन मुख्य मुकाबला सपा और भाजपा के बीच ही होने के आसार हैं।
अतिक्रमण हटे तो सुधरे शहर की सूरत:- नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने में उझानी नगर पालिका परिषद ने जो कार्य किए हैं, वह अन्य के मुकाबले काफी अच्छे हैं। हालांकि स्टेशन रोड समेत कुछेक इलाके में सड़कें गड्ढामुक्त नहीं हो पाई हैं। मुख्य बाजार की सड़क चमकदार है तो अतिक्रमण ने उसकी सूरत बिगाड़ दी है। पालिका समेत प्रशासनिक अफसर अतिक्रमण से नागरिकों को रही दिक्कतों के बारे में जानते हैं, लेकिन कार्रवाई शुरू होने के बाद भी बाजार को अतिक्रमणमुक्त कराने की कोशिश नहीं की गई। कई दुकानदार भी अतिक्रमण हटवाने की आवाज उठा चुके हैं।
नवसृजित कॉलोनियों में पानी-सड़कों का अभाव:- करीब एक दशक में आवासीय इलाकों की संख्या बढ़ती चली आ रही है। गौतमपुरी मोहल्ले में आंबेडकर चौराहे के पास सहसवान रोड पर नई बस्ती विकसित हो चुकी है। अहीरटोला में संजरपुर रोड ओर मिहौना मोड़ के आसपास का इलाका सुविधाओं के लिए तरस रहा है। इसी तरह गंजशहीदा की नई बस्ती, सरौरा के पीछे का इलाके के लोग पेयजल और सड़कों के लिए जूझ रहे हैं। रामलीला नगला के लोग खासकर बारिश के दिनों में नाले में उबाल से परेशान नजर आते हैं तो नवसृजित कॉलोनियों में पथप्रकाश की व्यवस्था भी शुरू नहीं हो पाई है।
उझानी में अब तक चुने गए पालिकाध्यक्ष
नाम कार्यकाल
सुपर सीट 1911 तक
ब्रजलाल भदवार 1912 से 1923
पंडित अजुध्या प्रसाद 1923 से 1925
सेठ श्री नारायन 1926 से 1931
अमृत लाल भदवार 1931 से 1944
पुरुषोत्तम लाल भदवार 1944 से 1955
अमृत लाल भदवार 1955 से 1956
रामस्वरूप रईस 1956 से 1958
रामजी दास 1959 से 1960
सतीशचंद्र गोयल 1960 से 1965
गोपीकृष्ण कयाल 1966 से 1971
सतीशचंद्र गोयल 1971 से 1972
सुशील कुमार गुप्ता 1973 से 1974
सुपर सीट 1974 से 1976
यादवकृष्ण गोयल 1976 से 1977
सुपर सीट 1977 से 1988
यादवकृष्ण गोयल 1988 से 1994
सुपर सीट 1994 से 1995
दुलीराम मौर्य 1995 से 2000
रामनाथ मेंदीरत्ता 2000 से 2005
पूनम अग्रवाल 2006 से 2011
सुपर सीट 2011 से 2012
पूनम अग्रवाल 2012 से 2017
पूनम अग्रवाल 2017 से 2022