(नया खेल) रोड टैक्स चोरी का खेल : ई-कार्ट में रजिस्टर्ड कर दिए गए 30 ई-रिक्शा,
जिले में करीब 15 ई-रिक्शा एजेंसियां हैं। जहां से रोजाना दो-चार ई-रिक्शा बिकते हैं। परिवहन विभाग के नियम के अनुसार ई-रिक्शा का 3450 रुपये प्रति वर्ष रोड टैक्स जमा करना पड़ता है, जबकि ई-कार्ट का 1900 रुपये प्रति वर्ष रोड टैक्स जमा होता है।
(नया खेल) रोड टैक्स चोरी का खेल : ई-कार्ट में रजिस्टर्ड कर दिए गए 30 ई-रिक्शा,
बदायूं। एआरटीओ कार्यालय में अब टैक्स चोरी का मामला सामने आया है। लंबे समय से कार्यालय के अधिकारी व कर्मचारी ई-रिक्शा एजेंसियों के साथ मिलकर धड़ल्ले से रोड टैक्स चोरी कर रहे थे। कुछ दिन पहले पैसेंजर टैक्स ऑफिसर (पीटीओ) के वाहन चेकिंग करने पर यह मामला पकड़ा गया। कार्रवाई के डर से ई-रिक्शा का पंजीकरण संशोधन कराने के लिए लखनऊ भेजा गया है।
जिले में करीब 15 ई-रिक्शा एजेंसियां हैं। जहां से रोजाना दो-चार ई-रिक्शा बिकते हैं। परिवहन विभाग के नियम के अनुसार ई-रिक्शा का 3450 रुपये प्रति वर्ष रोड टैक्स जमा करना पड़ता है, जबकि ई-कार्ट का 1900 रुपये प्रति वर्ष रोड टैक्स जमा होता है। दोनों वाहनों के रोड टैक्स में 1550 रुपये का अंतर है। यही 1550 रुपये प्रति ई-रिक्शा का टैक्स चोरी किया जा रहा था। यह खेल तब पकड़ा गया जब कुछ दिन पहले पीटीओ रमेश प्रजापति शहर में वाहन चेकिंग कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने एक ई-रिक्शा रोका था। जब उसके कागजात चेक किए गए तो उसका रजिस्ट्रेशन ई-कार्ट (माल ढोने वाला ई-रिक्शा) के नाम से था। यह खेल कोई वाहन खरीदने वाला नहीं कर सकता था। इस पर उन्होंने कार्यालय आकर मामले की छानबीन की। तब पता चला कि एक-दो नहीं पूरे 30 ई-रिक्शा का ई-कार्ट में रजिस्ट्रेशन किया गया है और उनका 1550 रुपये प्रतिवर्ष के हिसाब से टैक्स चोरी किया जा रहा था। इस राशि को कार्यालय में ही आपस में खुर्दबुर्द किया जा रहा था।
यह खेल उजागर होने के बाद कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों में खलबली मच गई है। अधिकारियों ने भी खुद को बचाने के लिए ई-कार्ट के स्थान पर ई-रिक्शा का संशोधन कराने के लिए सूची लखनऊ मुख्यालय के लिए भेज दी है। फिलहाल 30 वाहनों की सूची संशोधन के लिए गई हुई है।
ऐसे कर रहे टैक्स चोरी:- ई-रिक्शा खरीदने के दौरान संबंधित एजेंसी उसके कागजात तैयार करके एआरटीओ कार्यालय भेजती हैं। वाहन के अनुसार उसका रोड टैक्स जमा होता है। ई-रिक्शा खरीदने के दौरान दो-तीन साल का इकट्ठा रोड टैक्स जमा करा लिया जाता है। उसके कागजात एआरटीओ कार्यालय पहुंचते हैं, वहीं से शेष कार्रवाई पूरी होती है।
यह मामला संज्ञान में आया था। ई-रिक्शा चालकों को नोटिस भी दिए हैं। बाद में उनका संशोधन कराने को भेजा गया है। यह गड़बड़ी हमारे यहां से नहीं हुई है। हमने 30 रिक्शा का संशोधन कराने के लिए लखनऊ सूची भेजी है। — आरबी गुप्ता, एआरटीओ प्रवर्तन