आप की कलम से

फिराक गोरखपुरी के जन्मदिवस पर साहित्यिक संस्था गुफ्तगू द्वारा राष्ट्रीय कवि सम्मेलन आयोजित*

*फिराक गोरखपुरी के जन्मदिवस पर साहित्यिक संस्था गुफ्तगू द्वारा राष्ट्रीय कवि सम्मेलन आयोजित*

*आधुनिक भारत के ग़ज़लकार* नामक गजल संकलन भी प्रकाशित

*मुजाहिद चौधरी सहित दर्जनों शायरों को फिराक गोरखपुरी सम्मान से सम्मानित*

हसनपुर 04/09/22 उर्दू के मशहूर शायर रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी के जन्मदिवस पर साहित्यिक संस्था गुफ्तगू द्वारा एक राष्ट्रीय कवि सम्मेलन आयोजित किया गया । इस अवसर पर हसनपुर अमरोहा के वरिष्ठ अधिवक्ता, साहित्यकार एवं शायर मुजाहिद चौधरी सहित दर्जनों शायरों को फिराक गोरखपुरी सम्मान से सम्मानित किया गया है । गुफ्तगू साहित्यिक संस्था द्वारा इस अवसर पर *आधुनिक भारत के ग़ज़लकार* नामक गजल संकलन भी प्रकाशित किया गया । जिसमें देश के 112 प्रमुख शायरों की रचनाओं को प्रकाशित किया गया है । जिनमें फिराक गोरखपुरी, डॉ बशीर बद्र, वसीम बरेलवी, मुनव्वर राणा ,हर्ष अमृतसरी, राकेश नमित, अनीता सिन्हा, अशोक श्रीवास्तव, सुमन ढींगरा, इम्तियाज गाजी,अनुराग मिश्रा,अर्चना जायसवाल ,शमीम देवबंदी, मुजाहिद चौधरी प्रमुख हैं । कार्यक्रम के आयोजक और पुस्तक के संपादक इम्तियाज गाजी के अनुसार मुजाहिद चौधरी की छ: गजलों को इस ग़ज़ल संकलन में शामिल किया गया है । उनके प्रमुख शेर इस प्रकार हैं । गम किसको दिए जाएं ये आंसू किसे दे दूं । तू ही बता मौला मैं ये खुशियां किसे दे दूं ।। बरसों हुए हां उसको मेरी याद ना आई । मैं उसकी मोहब्बत का खजाना किसे दे दूं ।। गमख्वार नहीं कोई सिवा तेरे मुजाहिद । खुद को किसे सौंपू ये नजारे किस दे दूं ।।

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दिल है अफसुर्दा आंख पानी है । अपनी तो बस यही कहानी है । हर तरफ जुल्मतों का साया है । मुझको घर-घर शमा जलानी है ।‌। ये जो खुशबू फिजा में महकी है । मेरे महबूब की निशानी

है ।। वह आगे लिखते हैं,

जिसे मैं देखना चाहूं नजर में क्यों नहीं आता । जिसे पाने की चाहत है वो मेरे घर नहीं आता ।। वो आलाज़र्फ हर दिन सिर्फ मेरा नाम लेता है । मैं हूं कमजर्फ उसको याद तक भी कर नहीं पाता ।।

मैं खुश हूं मेरे दुश्मन आसमानों की बराबर हैं । मगर कोई अलग मुझ को ज़मीं से कर नहीं पाता ।। मुझे मंजिल मिलेगी है यकीं मेरा हमेशा से । जमाने भर से एक मुजाहिद डर नहीं पाता ।। जुल्म जो हम पे हुए दिल से भुलाते कैसे । अपने दुश्मन को कलेजे से लगाते कैसे ।। मरने वालों में कोई भी तो गुनाहगार ना था । झूठे इल्जाम भला उन पे लगाते कैसे ।। कोई इमकान नहीं था मगर तूफां आया । ऐसे हालात में कश्ती को बचाते कैसे ।। हम पे इल्जाम पे इल्जाम लगाए उसने । ऐसे मुंसिफ से भला खुद को बचाते कैसे ।।

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तुमने नहीं किया तो किसी ने नहीं किया । कुछ दोस्तों ने हमसे किनारा नहीं किया ।। दुश्मन से मिल गए जब मोहब्बत के साथ हम । फिर दुश्मनों ने हमसे किनारा नहीं किया ।। खुशबू की तरह उनका निभाते रहे हैं साथ । साए से उनके हमने किनारा नहीं किया ।। छोड़ना मत रास्ते में दूर तक ले कर चलो । इन अंधेरों से निकालो नूर तक ले कर चलो ।। अब कहीं जाने की हसरत दिल में बाकी ही नहीं । हां अगर तुम चल सको तो तूर तक ले कर चलो ।।

AMAN KUMAR SIDDHU

Aman Kumar Siddhu Author at Samar India Media Group From Uttar Pradesh. Can be Reached at samarindia22@gmail.com.

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