मक्का में मक्केश्वर महादेव विराजमान हैं’:शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती बोले- काशी हमारी ही है, हमें मक्का भी मिलना चाहिए
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कानपुर में कहा, "काशी हमारी ही है। हमें तो मक्का में भी पूजा का अधिकार मिलना चाहिए। मक्का में भगवान मक्केश्वर महादेव विराजमान हैं। मानवाधिकारी के तहत हमें अधिकार दिया जाना चाहिए।"
कानपुर- शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कानपुर में कहा, “काशी हमारी ही है। हमें तो मक्का में भी पूजा का अधिकार मिलना चाहिए। मक्का में भगवान मक्केश्वर महादेव विराजमान हैं। मानवाधिकारी के तहत हमें अधिकार दिया जाना चाहिए।”
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने ज्ञानवापी के सवाल पर कहा कि काशी शिव की नगरी है और वहां सिर्फ शिव हैं। वहां शिव के अलावा कुछ नहीं है। यहां तक कि सभी धर्मों के पूर्वजों को देखा जाए तो वे भी सनातनी हैं।
अमेरिका विनाश की ओर लेकर जा रहा
निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि आधुनिकता की दौड़ में विश्व में विकास का मापदंड अमेरिका से तुलना कर किया जा रहा है, जो विनाश की ओर ले जा रहा है। मनुष्य को जीवन में कर्म, भोग और ज्ञान वाला होना चाहिए। अमेरिका का विकास विश्व को विनाश की ओर भी ले जा रहा है। इससे मानव जाति पर खतरा मंडरा रहा है।
भारत ही देता है बड़ी समस्या का समाधान
उन्होंने कहा कि दुनिया हर समस्या के समाधान के लिए भारत का दरवाजा खटखटाती है। हर बार भारत से ही समाधान का रास्ता निकला है। हमारे वेद, उपनिषद समेत सभी प्राचीन ग्रंथ विज्ञान से भरे हैं। इसके आधार पर विश्वगुरु बन सकते हैं। दुश्मनों ने सिर्फ भारत से आर्थिक चोरी नहीं की, बल्कि ज्ञान-विज्ञान में भी डाका डाला है।
15 मिनट ईश्वर का स्मरण जरूर करें
सनातन सबसे प्राचीन और बड़ा धर्म है। इसका अनुसरण दूसरे धर्मों द्वारा भी किया जा रहा है। यह मानव जाति के लिए सबसे कल्याणकारी है। इसका पालन करने वाला मनुष्य हमेशा सुखी रहता है। सनातनी हिन्दू समाज को चाहिए कि वह रोज दिन में पांच बार कम से कम 15 मिनट ईश्वर का स्मरण करे। इसी से सनातनी हिंदुओं का कल्याण हो सकता है।
कानपुर में 2 दिन के प्रवास पर थे
सोमवार को शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने केशवपुरम स्थित आवास पर सैकड़ों भक्तों को गुरुदीक्षा दी। इसके बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए ये बयान दिया। बता दें कि सनातन मंदिर चेतना सोसाइटी द्वारा धर्म सभा का आयोजन किया गया था। इसमें शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया था। सोमवार को ही वे दोपहर में अपनी धर्म यात्रा के अगले पड़ाव के लिए महाराष्ट्र को रवाना हो गए।