बदायूँ की उस जामा मस्जिद को जानें, जिस पर मंदिर होने का दावा
बदायूँ की उस मस्जिद को जानें, जिस पर मंदिर होने का दावा
90 फीट ऊंचा मुख्य टॉम्ब, अगल-बगल कमरे; बीच में आलीशान फव्वारा।
जयकिशन सैनी
बदायूँ। वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के बाद बदायूं की जामा मस्जिद में नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा किया गया है। अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने शुक्रवार को बदायूं सिविल कोर्ट में इसे लेकर याचिका दाखिल की। कोर्ट ने याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। इस पर 15 सितंबर को सुनवाई होगी। इसको लेकर हिंदू महासभा ने एक नक्शा पेश किया है। नक्शे में बताया गया है कि यह मस्जिद 63,280 वर्ग फीट जगह में बनी हुई है। इसमें अंदर ठीक बीच में फव्वारा भी बना है।आइए अब मस्जिद के नक्शे के बारे में बताते है:- नक्शे के मुताबिक, मस्जिद की दीवारें डेढ़ से दो गज चौड़ी हैं। 50 से 65 फीट इनकी ऊंचाई है। मुख्य टॉम्ब यानी मीनार 90 फीट ऊंची है। डोम के अगल-बगल कमरे हैं। इसकी लंबाई 280 फीट और चौड़ाई 226 फीट है। मस्जिद के तीन दिशाओं पश्चिम, उत्तर और दक्षिण में आबादी है। पूरब दिशा में गेट के पास से आम रास्ता है। बीच में फव्वारा है। फव्वारे के आगे-पीछे की जगह खाली दिखाई गई है। इसके अलावा नक्शे में मस्जिद के आसपास आबादी क्षेत्र और मोहल्लों समेत चक्कर की सड़क पर दरगाह रोड आदि का जिक्र है।
हिंदू पक्ष का दावा- नीलकंठ महादेव मंदिर को ध्वस्त करके मस्जिद बनाई
याचिकाकर्ता और अखिल भारतीय हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल से दैनिक भास्कर से बात की। उन्होंने दावा किया, “बदायूं की जामा मस्जिद परिसर हिंदू राजा महीपाल का किला था। मस्जिद की मौजूदा संरचना नीलकंठ महादेव के प्राचीन मंदिर को ध्वस्त करके बनाई गई है। साल 1175 में पाल वंशीय राजपूत राजा अजयपाल ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। मुगल शासक शमसुद्दीन अल्तमश ने इसे ध्वस्त करके जामिया मस्जिद बना दिया। यहां पहले नीलकंठ महादेव का मंदिर था।”
हिंदू पक्ष के वकील बोले- गवर्नमेंट गजेटियर में इसके सबूत
हिंदू पक्ष के वकील वेद प्रकाश साहू ने बताया, “गवर्नमेंट का गजेटियर साल 1986 में प्रकाशित हुआ था। इसमें अल्तमश ने मंदिर की प्रकृति बदलने का जिक्र किया है।” याचिका में पहल पक्षकार भगवान नीलकंठ महादेव को बनाया गया है। साथ ही दावा करने वालों में मुकेश पटेल, वकील अरविंद परमार, ज्ञान प्रकाश, डॉ. अनुराग शर्मा और उमेश चंद्र शर्मा शामिल हैं।मुस्लिम पक्ष ने कहा- मंदिर का कोई अस्तित्व नहीं है
इंतजामिया कमेटी के सदस्य असरार अहमद मुस्लिम पक्ष के वकील हैं। उन्होंने कहा, “जामा मस्जिद शम्सी लगभग 840 साल पुरानी है। मस्जिद का निर्माण शमसुद्दीन अल्तमश ने करवाया था। कोई भी ऐसा गजेटियर नहीं है, जिसमें यह मेंशन हो कि यहां मंदिर था। यह मुस्लिम पक्ष की इबादतगाह है। यहां मंदिर का कोई अस्तित्व नहीं है। उन लोगों ने भी मंदिर के अस्तित्व का कोई कागज दाखिल नहीं किया है।