जोशीमठ मकानों में दरारों के चलते टिहरी के मंदिर में 12 साल तक तपस्या करने के बाद बाहर आई दुध्याड़ी देवी…
Due to cracks in Joshimath houses, Dudhyadi Devi came out after 12 years of penance in Tehri temple...

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक बड़ी खबर सामने आ रही है जिसमे आपको बतादें कि जहाँ जोशीमठ संकट के बीच अभी भी लगातार राहत एवं बचाव कार्य जारी है. इस बीच मौसम ने करवट बदली है. इधर टिहरी जिले के पौनाडा गांव के मंदिर में 12 साल तक तपस्या करने के बाद दुध्याड़ी देवी भक्तों को दर्शन देने के लिए बाहर निकली हैं.
आपको बताते चले कि टिहरी जिले के सैकड़ों गांव में करीब 37 दिन तक पैदल सफर करने के बाद बुधवार को दुध्याड़ी देवी उत्तरकाशी जिले की सीमा पर स्थित ब्रह्मपुरी गांव पहुंची. जहां गाजणा पट्टी के गांव-गांव से सैकड़ों भक्तों की भीड़ दर्शन को उमड़ पड़ी. दर्शन के समय भक्तों ने देवी का फूल-मालाओं से भव्य स्वागत कर मन्नतें मांगी. इस दौरान देवी ने पंचों को ब्रह्मपुरी में देवी का मंदिर बनाने की सहमति दी है.
वहीँ दूसरी और उत्तरकाशी के प्रवेश द्वार के ब्रह्मपुरी गांव पहुंचने बाद दुध्याड़ी देवी की डोली यात्रा गांव भर में भक्तों के दर्शन के लिए गई. इसके बाद कमद गांव होते हुए सेम थाण्डी गांव पहुंची. जहां रात्रि विश्राम के बाद पुनः कमद, कुमारकोट गांव होते हुए हरुनता बुग्याल, वायाली से किशनपुर, मानपुर, तिलोथ,जोशियाड़ा, ज्ञानसू होते हुए मकर संक्रांति के पर्व पर मणिकर्णिका घाट पर माघ मेले में गंगा स्नान करेगी.
इतना ही नहीं उत्तरकाशी बाजार में भक्तों को दर्शन देगी और उजेली होते हुए गाजणा पट्टी के दिखोली गांव, सिरी गांव होते हुए अपने मंदिर की तरफ बढ़ेगी, जहां देवी भगवात महायज्ञ के बाद पुनः देवी 12 साल के लिए मंदिर में विराजमान हो जाएगी. Joshimath में एक ओर हो रहे भूस्खलन से जहां शासन-प्रशासन और स्थानीय लोगों के बीच हड़कंप मचा हुआ है.
हालाँकि टिहरी डैम की झील के पानी के उतार-चढ़ाव के चलते टिहरी झील से सटे गांवों में भी भूस्खलन-भूधसाव जारी है. ग्रामीण टिहरी झील की मार के बीच दहशत में जीने को मजबूर हैं, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है. टिहरी झील से सटे भटकंडा गांव में करीब एक दर्जन परिवार इन दिनों डर के साये में जीने को मजबूर है.