आज रात जोशीमठ में प्रवास करेंगे सीएम धामी, नड्डा ने फोन पर ली स्थिति की जानकारी
CM Dhami will stay in Joshimath tonight, Nadda took information on the phone

इस समय जोशीमठ पर बेहद संकट के बदल मंडरा रहे है जी हाँ आपको बतादें कि भू धंसाव से लगातार घरों में दरारें पड़ रही है। इस बीच जोशमीठ में प्रशासन के साथ स्थानीय लोगों की मुआवजे को लेकर चल रही बैठक में बात नहीं बनी। प्रशासन की ओर से प्रभावितों परिवारों को डेढ़ लाख रुपये मुआवजा दिए जाने की बात कही गई, लेकिन प्रभावितों ने इससे इनकार कर दिया।
उत्तराखंड के सीएम आज रात जोशीमठ में करेंगे प्रवास
जानकारी के अनुसार सीएम धामी आज जोशीमठ में रात्रि प्रवास करेंगे। रात्रि प्रवास के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जोशीमठ पहुंच गए हैं। प्रस्तावित सभी कार्यक्रमों को स्थगित कर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जोशीमठ पहुंचेंगे। प्रभावित परिवारों को उपलब्ध कराई जा रही सहायता एवं किए गए कार्यों से सीएम अवगत होंगे।
आपको बतादें कि भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सीएम से फोन पर स्थिति का जायजा लिया।
किस क्षेत्र में बसा है शहर
1970 में अलकनंदा की बाढ़ के बाद यूपी सरकार ने 1976 में तत्कालीन गढ़वाल आयुक्त एमसी मिश्रा की अध्यक्षता में वैज्ञानिकों की 18 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी में सिंचाई, लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर, रुड़की इंजीनियरिंग कालेज और भूर्गभ विभाग के विशेषज्ञों के साथ ही पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट शामिल थे। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में माना था कि जोशीमठ भू-स्खलन प्रभावित क्षेत्र है। इसके ढलानों से किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए।
ड्रेनेज व सीवेज व्यवस्था
आपको बतादें कि पिछले साल 16 से 19 अगस्त के बीच राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिशासी निदेशक डॉ. पीयूष रौतेला के नेेतृत्व में एक टीम ने जोशीमठ का सर्वेक्षण किया था। शोध के बाद उन्होंने नवंबर माह में 28 पृष्ठों की रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। इसमें उन्होंने माना था कि जोशीमठ के नीचे अलकनंदा में कटाव के साथ ही सीवेज और ड्रेनेज की व्यवस्था न होने से पानी जमीन में समा रहा है। इससे जमीन धंस रही है।
तपोवन-विष्णुगाड़ परियोजना
आपको बताते चले कि जुलाई 2022 को चार भू-विज्ञानियों प्रो. एसपी सती, डॉ. नवीन जुयाल, प्रो. वाईपी सुंदरियाल और डॉ. शुभ्रा शर्मा का एक शोध पत्र टूवर्ड अंदरस्टैंडिंग द कॉज ऑफ सोयल क्रीप एंड लैंड सबसाइडेंस अराउंड हिस्टोरिकल जोशीमठ टाउन जारी किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि यहां पहाड़ी ढलानों को काटकर बहुमंजिला इमारतें खड़ी कर दी गई। तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना की टनल जोशीमठ के नीचे करीब एक किमी गहराई में गुजर रही है।
वहीँ दूसरी और उनका कहना था कि यह सुरंग जोशीमठ व आसपास के लिए कभी भी मुश्किलें पैदा कर सकती है। वहीं, 25 मई 2010 को करेंट साइंस शोध पत्रिका में प्रकाशित गढ़वाल विवि के पूर्व प्रोफेसर एमपीएस बिष्ट व डॉ. पीयूष रौतेला के शोध पत्र में भी स्पष्ट कहा गया था कि परियोजना की टनल बोरिंग मशीन की वजह से पानी का रिसाव बढ़ रहा है जो कि भविष्य का खतरनाक संकेत है।
आखिरकार ऐसा क्यों हो रहा जोशीमठ में
आज सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर जोशीमठ धंस क्यों रहा है? वैज्ञानिकों के अपने तर्क हैं। सरकार के अपने तथ्य और इंतजामात। जोशीमठ को लेकर चार प्रमुख शोध हो चुके हैं, जिनमें अलग-अलग समय पर शोधकर्ताओं ने अलग कारण बताए।
सीेएम आवास का रुख करेगी कांग्रेस
जानकारी के मुताबिक कांग्रेस प्रदेश अधयक्ष करन माहरा ने कहा कि जोशीमठ में भू-धंसाव की चपेट में आए भवनों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई प्रारंभ करने से पहले धामी सरकार प्रभावितों के लिए कल शाम तक उचित मुआवजा राशि घोषित करें अन्यथा उत्तराखंड कांग्रेस मुख्यमंत्री आवास कूच के लिए विवश होगी।