देवभूमि (उत्तराखंड)

चारधाम यात्रा कहां से शुरू होकर किस स्थान पर होती है संपन्न

Chardham Yatra starts from where and ends at which place?

आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे है चारधाम यात्रा से जुडी कुछ बाते जी हाँ कड़ाके की ठंड के बाद उत्तराखंड में चारों धामों गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा गर्मियों के छह महीनों में श्रद्धालुओं के लिए खुलती है,. किसी ज़माने में इसे बैकुंठलोक की यात्रा की तरह समझा जाता था. विशेषकर 2013 की आपदा के बाद से केदारनाथ में हो रहे नवनिर्माण और बद्रीनाथ में मास्टर प्लान के तहत हो रहे विकास के कारण अब यह तीर्थ यात्रा पर्यटन के साथ घुल मिल चुकी है.

वहीँ दूसरी ओर कोरोना काल के दो सालों के अवरोध के बाद इस साल पूरी लय में शुरू हुई यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या 15 लाख के आंकड़े की तरफ है, तो चिंता 125 मौतों को लेकर है. आखिर क्या है यात्रा का पूरा ब्योरा और कैसे इन आंकड़ों को समझने में यह मदद करता है?

कहां से शुरू होकर कहा होती है संपन्न

आपको बतादें कि माना जाता है कि चारधाम यात्रा की शुरुआत हरिद्वार में गंगा स्नान के साथ शुरू होती है. यहां से सबसे पहले मां यमुना के धाम को कूच किया जाता है. उसके बाद मां गंगा के दर्शन करते हुए बाबा केदार के द्वार पहुंचा जाता है और बद्री विशाल यात्रा का अंतिम सोपान होता है. यदि आप उत्तराखंड के बाहर से हैं, तो यहां से वापस हरिद्वार होकर लौटना ही मुफीद रहता है. इस पूरी चारधाम यात्रा में 8 से 10 दिन का समय लगता है.

कैसे चल रहा है प्लान?

आपको बतादें कि श्रद्धालु धार्मिक मान्यताओं के चलते चार धाम करते हैं, वो अब भी बताए गए तरीके से यात्रा करते हैं, लेकिन जो पर्यटन की दृष्टि से यात्रा करते हैं, वो पूरे चार धाम जाएं, यह ज़रूरी ही नहीं. दूसरे अब यात्रा का पैटर्न और नियम बदले हैं तो रजिस्ट्रेशन में आ रही मुश्किलों के चलते भी धामों का चयन हो रहा है.

हालाँकि पिछले कुछ समय से केदारनाथ के रजिस्ट्रेशन फुल होने के कारण कई श्रद्धालु अन्य धामों की ओर रुख कर रहे हैं.किस धाम की यात्रा करें? यह चयन स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है. जो श्रद्धालु ज़्यादा मुश्किल चढ़ाई वाली यात्रा नहीं करना चाहते, वो गंगोत्री और बद्रीनाथ जाना उचित समझते हैं.

दूसरी और बात की जाएं तो दूसरे चार धामों में इस बार ज़्यादा संख्या में हो रही मौतों के मद्देनज़र राज्य सरकार ने खास तौर से केदारनाथ में हेल्थ स्क्रीनिंग संबंधी कड़े नियम बना दिए हैं. इस वजह से भी श्रद्धालुओं को धामों का चयन करने का कारण मिल रहा है. ट्रैवल एजेंसियों से जुड़े लोग बता रहे हैं कि चारधाम यात्रा हरिद्वार से शुरू होकर करीब 10 दिन में पूरी होती है.

हालाँकि इस यात्रा में 20-25,000 रुपये प्रति व्यक्ति खर्च हो रहा है. हरिद्वार, ऋषिकेश के साथ दिल्ली से भी टूर एंड ट्रैवल पैकेज बुक किए जा रहे हैं. हेलीकॉप्टर का किराया अलग से लगता है. ट्रैवलर्स एजेंसी चला रहे इमरान का कहना है कि केदारनाथ बुकिंग की डिमांड ज़्यादा है और लोग नये नियमों के हिसाब से धामों की बुकिंग करवा रहे हैं.

किस धाम की यात्रा कितनी है कठिन?

तो चलिए जानते है कि समुद्र तल से गंगोत्री 11,204, बद्रीनाथ 10,170, यमुनोत्री 10,804 और केदारनाथ 11,755 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं. हिमालय में स्थित इन चारों धामों में बर्फबारी के कारण मौसम ठंडा रहता ही है. कुछ यात्री गंगोत्री से करीब 19 किलोमीटर दूर 13,200 फीट की ऊंचाई पर गोमुख भी जाते हैं. यमुनोत्री में करीब 5 व केदारनाथ धाम के लिए करीब 18 किलोमीटर पैदल चलना होता है. इस चढ़ाई के लिए खच्चर आदि की सेवा भी उपलब्ध रहती है.

मिली जानकारी के अनुसार सबसे ज़्यादा तीर्थयात्री मैदानी हिस्सों से चार धाम की यात्रा कर रहे हैं. मान लीजिए आप हरिद्वार से 250 किलोमीटर दूर सबसे पहले यमुनोत्री पहुंचते हैं, तो होता यह है कि कुछ ही घंटों में आपका शरीर 40 डिग्री से ज़्यादा तापमान वाले स्थान से 10 डिग्री से भी कम तापमान वाली जगह पहुंच जाता है. फिजिशियन डॉ. केपी जोशी बताते हैं कि ऐसे में शरीर में कई उलझनें पैदा होती हैं इसलिए यात्रा हड़बड़ी में नहीं, आराम से करें.

क्या है मौतों के कारण!

लेटेस्ट आधिकारिक डेटा के अनुसार गंगोत्री में 9, यमुनोत्री में 32, बद्रीनाथ में 26 और केदारनाथ में 58 यात्रियों की मौत के साथ ही कुल आंकड़ा 125 पहुंच गया है. डॉ. जोशी का कहना है कि ज़्यादातर मृतकों को हार्ट या लंग्स संबंधी शिकायतें थीं. इस फैक्ट के चलते पहले कोविड के असर को भी मौतों का एक कारण माना जा चुका है. माउंटेन सिकनेस व ऊंचाई के कारण होने वाली ऑक्सीजन की कमी की स्थिति में शरीर का ठीक तरह से रिस्पॉंड न करना भी बड़ी वजह बताई जा चुकी है. अब तापमान चेंज को भी एक बड़ा फैक्टर समझा जा रहा है.

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