तीर्थ पुरोहित ने चारधाम यात्रा से पहले कही ये बाद – नहीं हटाये ये नियम तो होगा आंदोलन
Before the Chardham Yatra, the pilgrimage priest said this after - if these rules are not removed then there will be agitation
हाल ही में उत्तराखंड से एक बड़ी खबर सामने आ रही है जिसमे आपको बतादें कि देहरादून, एक मार्च (भाषा) चारधाम तीर्थ पुरोहितों ने बुधवार को चेतावनी दी कि अगर तीर्थयात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन पंजीकरण और हिमालयी धामों में उनकी दैनिक संख्या निर्धारित करने जैसे नियम न हटाए गए तो वे आंदोलन करने को बाध्य हो जाएंगे ।
औपचारिकतायें लागू करना बिलकुल अव्यवहारिक
वहीँ दूसरी ओर तीर्थ पुरोहित महापंचायत अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने कहा कि यात्रा पर आने वाले ज्यादातर श्रद्धालु गरीब, बुजुर्ग और निरक्षर होते हैं और उनके लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराना आसान काम नहीं है। उन्होंने कहा कि यात्रा से पहले श्रद्धालुओं पर इस प्रकार की औपचारिकतायें लागू करना बिलकुल अव्यवहारिक है. जहां तक तीर्थयात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं का रिकॉर्ड रखने का सवाल है तो वह पुलिस सत्यापन के जरिए भी रखा जा सकता है।
यमुनोत्री मंदिर के दर्शन किए जाने चाहिए
आपको बताते चले कि उन्होंने पंजीकरण के लिए चारों धामों का क्रम बदले जाने पर भी आपत्ति जताई और कहा कि यह हिंदू परंपराओं के साथ खिलवाड़ है। हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार, श्रद्धालुओं द्वारा सबसे पहले यमुनोत्री मंदिर के दर्शन किए जाने चाहिए और उसके बाद उन्हें क्रमश: गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ जाना चाहिए। लेकिन केदारनाथ और बदरीनाथ का पंजीकरण शुरू कर दिया गया है.
वहीँ दूसरी ओर छह माह के शीतकालीन अवकाश के बाद यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट अक्षय तृतीया के मौके पर 22 अप्रैल को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जायेंगे जबकि केदारनाथ मंदिर के कपाट 25 अप्रैल और बदरीनाथ मंदिर के द्वार 27 अप्रैल को खुलेंगे सेमवाल ने हिमालयी धामों में आने वाले श्रद्धालुओं की दैनिक संख्या निर्धारित किए जाने के पर्यटन विभाग के प्रस्ताव का भी विरोध किया।