गरीबों का राशन डकारने वाले शिक्षक दंपत्ति की जमानत निरस्तीकरण याचिका दायर
*गरीबों का राशन डकारने वाले शिक्षक दंपत्ति की जमानत निरस्तीकरण याचिका दायर*
राज्य की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी एवं वादी मुकदमा दोनों ने अलग-अलग निरस्तीकरण याचिका प्रस्तुत की
जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजीव कुमार ने याचिका दर्ज कर नोटिस जारी किए हैं
अमरोहा । सीजेएम कोर्ट में विचारण हेतु तलब गरीबों का राशन डकारने वाले चर्चित शिक्षक दंपति सहित उनकी मां को षड्यंत्र रचकर जालसाजी से राशन हड़पने के मामले में राज्य की ओर से जिलाधिकारी के निर्देश पर जिला शासकीय अधिवक्ता एवं वादी मुकदमा की ओर से अलग-अलग याचिका दायर कर दोनों शिक्षक दंपति की जमानत निरस्तीकरण याचिका जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने दर्ज कर नोटिस जारी किए हैं ।
गौरतलब है कि 21 अगस्त 2021 को संपूर्ण समाधान दिवस में नगर के मोहल्ला कोट निवासी समाजसेवी एवं कचहरी के अधिवक्ता मनु शर्मा ने जिलाधिकारी श्री बालकृष्ण त्रिपाठी से शिकायत की थी कि मोहल्ला कोट निवासी अर्पित खंडेलवाल पुत्र स्व०अशोक खंडेलवाल सहायक अध्यापक कमपोजिट विद्यालय ग्राम पीरगढ़ विकास क्षेत्र जोया एवं उसकी पत्नी वर्षा गुप्ता सहायक अध्यापिका जूनियर हाई स्कूल ग्राम पपसरा विकास क्षेत्र जोया में तैनात हैं । जबकि उसकी मां गीता खंडेलवाल हेड मास्टर प्राथमिक विद्यालय ग्राम गुलड़िया से सेवानिवृत्त विभाग की पेंशनर हैं । तीनों ने आपस में साजिश करके अनुचित लाभ प्राप्त कर पात्रों का रिश्तेदार बनकर उनके राशन कार्डों में फर्जीवाड़ा करके अपने नाम शामिल करा लिए हैं और उन सभी का सरकारी राशन कई वर्षों से डकारते रहे हैं ।
जिलाधिकारी के आदेश पर जिला पूर्ति अधिकारी पूरन सिंह चौहान ने अपनी जांच रिपोर्ट मे गरीबों के हक का राशन शिक्षक दंपति द्वारा बायोमेट्रिक मशीन में अपने अंगूठे लगाकर हेराफेरी और जालसाजी से प्राप्त करने की पुष्टि पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा दोनों शिक्षक दंपति के वर्ष 2021 में अक्टूबर माह के वेतन से तेरह हजार पांच सौ रुपए की वसूली करके दोनों शिक्षकों अर्पित खंडेलवाल एवं वर्षा गुप्ता के विरुद्ध दोष सिद्ध होने पर उन्हें अध्यापक आचरण नियमावली 1956 के उल्लंघन का दोषी मानते हुए प्रतिकूल प्रविष्टि निर्गत की गई। इसके उपरांत कोर्ट के आदेश पर अमरोहा नगर पुलिस ने तीनों सहित अन्य चार अज्ञात के विरुद्ध गत वर्ष जनवरी में मात्र धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज की थी । मामले की विवेचना कोट चौकी इंचार्ज सत्यानंद सिंह द्वारा की गई और उन्होंने समस्त दस्तावेजी साक्ष्यों और बयानों को दरकिनार करते हुए अदालत में अंतिम रिपोर्ट भेज दी थी ।
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने 2 नवंबर को पत्रावली पर मौजूद दस्तावेजों व पुलिस की केस डायरी में संकलित साक्ष्यों व तथ्यों से गंभीर अपराध का घटित होना मानते हुए विवेचक द्वारा भेजी गई अंतिम रिपोर्ट को अस्वीकार करते हुए मुकदमा स्टेट केस के रूप में दर्ज कर भादंसं की धारा 120 बी, 420 एवं 409 के अपराध में शिक्षक दंपत्ति अर्पित खंडेलवाल, वर्षा गुप्ता एवं उनकी मां गीता खंडेलवाल को विचारण हेतु तलब किया गया । फरवरी में उच्च न्यायालय से कोई रिलीफ ना मिलने पर बड़े ही नाटकीय ढंग से रूप बदलकर दोनों शिक्षक दंपति ने प्रभारी मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ओमपाल सिंह की अदालत में आत्मसमर्पण कर अपनी जमानत कराई थी ।
जिसे जेष्ठ अभियोजन अधिकारी के पत्र पर संज्ञान लेकर राज्य की ओर से जिलाधिकारी द्वारा उक्त जमानत को कानून की दृष्टि में पोषणीय नहीं मानकर त्रुटिपूर्ण एवं विधि विरुद्ध बताते हुए जिला शासकीय अधिवक्ता एवं वादी मुकदमा की ओर से उक्त जमानत के निरस्तीकरण हेतू अलग-अलग याचिका प्रस्तुत की गई है । इस संबंध में जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी महावीर सिंह एवं वादी के अधिवक्ता खुसरो नदीम ने बताया कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री संजीव कुमार ने उक्त जमानत निरस्तीकरण याचिका को दर्ज कर संबंधित को नोटिस जारी किए हैं ।