उमेश पाल हत्याकांड मामले में अतीक अहमद को उमक्रैद की सजा

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By Shabab Aalam

उमेश पाल हत्याकांड मामले में अतीक अहमद को उमक्रैद की सजा

Shabab Aalam

उमेशपाल हत्याकांड मामले में एक बड़ी खबर सामने आ रही है जिसमे आपको बतादें कि उमेश पाल और उनके सुरक्षा कर्मियों की पिछले महीने 24 फरवरी को प्रयागराज में बदमाशों ने गोली और बम मारकर हत्‍या कर दी थी। उमेश पाल विधायक राजू पाल की हत्‍या के मामले में गवाह थे। उनसे गवाही बदलवाने के लिए अतीक ने 17 साल पहले 28 फरवरी 2006 को अतीक और उसके गुर्गों ने उमेश पाल का अपहरण कर लिया था। उन्‍हें अपने दफ्तर ले जाकर टार्चर किया और फिर जबरदस्‍ती हलफनामा दिलवाकर गवाही बदलवा दी।

 

सुनाई गई उम्रकैद की सजा

वहीँ दूसरी ओर आज उमेश के साथ अतीक के गुनाहों का पहला इंसाफ हो गया है। एमपी-एमएलए सेशन कोर्ट ने अतीक समेत कुल 3 आरोपियों को इस मामले में दोषी करार दिया है। तीनों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। तीनों पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना वसूलकर उमेश पाल के परिवारीजनों को दिया जाएगा। मामले में अतीक का भाई अशरफ सहित कुल 11 आरोपी थे। इनमें से एक की मौत हो चुकी हैै। मामले में अशरफ समेत सात आरोपियों को बरी कर दिया गया है।

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खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया

इतना ही नहीं दूसरी ओर बताया जा रहा है कि फैसला सुनाए जाने के वक्‍त अतीक अपने भाई अशरफ से गले मिलकर रोने लगा। अतीक, पूर्व पार्षद दिनेश पासी और सौलत हनीफ खान एडवोकेट को दोषी करार दिया गया है। 10 में से तीन आरोपी कोर्ट में पेश नहीं हुए थे जिनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। फैसले के बाद कचहरी परिसर में वकीलों ने ‘फांसी दो, फांसी दो’ के नारे भी लगाए। सजा पर बहस के बाद दोपहर दो बजे के करीब दोषी करार दिए गए अतीक, दिनेश और सौलत को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। सजा पर बहस के दौरान अतीक ने खुद अपना पक्ष रखा है।

 

लगाई गई ये धाराएं

अतीक अहमद और दिनेश पासी को 364-ए/34, 120 बी, 147, 323/149, 341, 342, 504 के तहत दोषी ठहराया गया है। जबकि सौलत हनीफ खान, जो अतीक के वकील हैं, उन्हें 506(2), 7सीआरएलए, 364 और 120 बी के तहत दोषी करार दिया गया है। इसमें सबसे बड़ी धारा 364-ए/34 अपहरण कर जान से मारने की धमकी की है, जिसमें फांसी अथवा आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। उमेश पर ऐसे ढाया गया था जुल्‍म दोषी करार दिए गए अतीक के जुल्‍मों की कहानी कितनी खौफनाक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2006 में जब उमेश पाल का अपहरण हुआ तो एक साल तक वह अतीक के खिलाफ केस ही नहीं दर्ज करा पाए। अतीक के खिलाफ केस दर्ज हुआ यूपी की सत्‍ता में बसपा के आने और सुश्री मायावती के मुख्‍यमंत्री बनने के बाद। उमेश ने 5 जुलाई 2007 को अतीक और उसके गुर्गों के खिलाफ केस दर्ज कराया। उमेश ने इन पर अपहरण कर अपने दफ्तर में ले जाने, बंधक बनाने, जबरन हलफनामा तैयार कराने और गवाही दिलाने का आरोप लगाया था।

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अतीक ने दफ्तर के टार्चर रूम में बनाया था बंधक

पुलिस का मामना है कि अतीक ने उमेश को किडनैप करने के बाद अपने दफ्तर के टार्चर रूम में बंधक बनाया था। वहीं उमेश की बेरहमी से पिटाई की गई थी और जबरन उससे हलफनामा लिया गया कि राजू पाल हत्‍याकांड में वह मौके पर नहीं था। हलफनामे के साथ अतीक के करीबियों ने उमेश पाल को ले जाकर कोर्ट में पेश किया जहां उसने गवाही दी थी कि हलफनामा वह अपने होशोहवास में लगा रहा है।

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