अकेले अनिल कुंबले ने समेट दिया था पूरा पाकिस्तान, जानिए 10 विकेट लेने अजीब कहानी
नई दिल्ली: 7 फरवरी 1999 का वो समय देश जिस समय सर्दी की ठिठुरन महसूस कर रहा था उस समय दिल्ली समेत बाकी हिस्से में क्रिकेट फैंस भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे दूसरे टेस्ट मैच की गर्मी की गिरफ्त में थे टीम इंडिया के फैंस की धड़कनें तेज थीं क्योंकि दो टेस्ट मैचों की सीरीज में एक टेस्ट मैच पाकिस्तान जीत चुका था दूसरे मैच के चौथे दिन वह जीतने के लिए 420 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरा था लक्ष्य कठिन जरूर था लेकिन पाकिस्तानी बल्लेबाज सईद अनवर और शाहिद आफरीदी ने बिना एक भी विकेट गंवाए 24 ओवर में 101 रन जोड़ दिए थे ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि टीवी की स्क्रीन से चिपके लोगों का क्या हाल होगा तब लग रहा था कि अब इस मैच को सिर्फ चमत्कार ही बचा सकता है और फिर वैसा ही हुआ चमत्कार किया अनिल कुंबले वह भी ऐसा जो क्रिकेट में उससे पहले सिर्फ एक बार हुआ था
कुंबले ने पाकिस्तान की पारी के दस के दस विकेट झटककर न सिर्फ इतिहास रचा बल्कि देश को शर्मनाक हार से बचाते हुए पाकिस्तान के खिलाफ शानदार जीत दिला दी ये जीत कितनी अहम थी इसका अंदाजा इस बात से लगाइ कि भारत को पाकिस्तान के खिलाफ ये जीत 23 टेस्ट के बाद मिली थी ये जीत बहुत बड़ी थी लेकिन अनिल कुंबले की करिश्मे से छोटी एक पारी के सभी 10 विकेट लेना जाहिर है आसान काम नहीं होता तभी ये करिश्मा वर्ल्ड क्रिकेट में सिर्फ दो बार हुआ एक बार जिम लेकर ने 10 विकेट लिए तो दूसरी बार अनिल कुंबले ने 10 विकेट लेने का कारनाम कर दिखाया क्रिकेट के इतने लंबे इतिहास में ऐसा खेल कोई खिलाड़ी तीसरी बार नहीं दोहरा सका है इतनी कमाल की बॉलिंग के पीछे कहानियां भी कई होंगी आइए जानते हैं कुंबले की उस ईनिंग की 5 कहानियां
1 लंच तक पाक का नहीं गिरा कोई विकेट और रन बने 101
420 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी पाकिस्तानी टीम ने शानदार शुरुआत की सईद अनवर और शाहिद आफरीदी ने बिना विकेट खोए लंच तक 101 रन स्कोर बोर्ड पर टांग दिए थे ऐसे में लोगों को लगने लगा कि खेल पाकिस्तान की ओर खिसक गया है कुंबले उस दिन को याद करते हुए बताते हैं कि लंच में उस समय के कोच अंशुमान गायकवाड़ ने खिलाड़ियों से कहा कि सभी अपना सर्वश्रेष्ठ खेल दिखाएं कप्तान अजहर को इस बात का भरोसा था कि कुंबले इस खेल का रुख बदल सकते हैं
2 फिर कुंबले ने अपना छोर बदला और सब कुछ बदल गया
कुंबले पहले फुटबॉल स्टेंड़ एंड़ से गेंदबाजी कर रहे थे उनके 6 ओवर में 27 रन बन चुके थे और एक भी कामयाबी नहीं मिली थी तभी अजहर ने कुंबले से कहा कि वह पवेलियन एंड़ से गेंदबाजी करें कुंबले ने गेंदबाजी का छोर बदला और पूरे मैच का रुख बदल गया कुंबले के ओवर की ऑफ स्टंप के बाहर जाती गेंद को आफरीदी ने छेड़ा और गेंद ने बल्ले का किनारा ले लिया मोंगिया ने विकेट के पीछे कोई गलती नहीं की हालांकि आफरीदी को लगा कि वह आउट नहीं हैं उन्होंने नाखुशी भी जाहिर की लेकिन अंत में उन्हें जाना ही पड़ा इसके बाद पाकिस्तानी बल्लेबाजों की लाइन लग गई
3 कुंबले 9 विकेट ले चुके थे फिर भी श्रीनाथ की गेंद पर कैच के लिए रमेश ने लगाई दौड़
अपने 10वें विकेट की कहानी को याद करते हुए कुंबले कहते हैं कि जब उन्होंने 6 विकेट लिए तभी उन्हें लगने लगा था कि वह 10 विकेट ले सकते हैं फिर जब सकलेन मुश्ताक के रूप में 9वां विकेट गिरा तो करीब करीब ये तय हो गया था कि अब कुंबले 10 विकेट लेने का रिकॉर्ड दोहरा सकते हैं ऐसे में श्रीनाथ ओवर करने आए और प्लान बनाया गया कि अगर कैच उठा तो कोई उसे लपकेगा नहीं उसी ओवर में एक गेंद ने वकार यूनिस के बल्ले का बाहरी किनारा लिया गेंद हवा में गई और सदगोपन रमेश ने उसे लपकने के लिए दौड़ लगा दी कुंबले कहते हैं कि मुझे नहीं लगता कि रमेश ने उस प्लान को सुना था वो शायद भूल गए कि मैं 9 विकेट ले चुका हूं हालांकि वह गेंद उनसे काफी दूर गिरी और वह उसे लपक नहीं पाए