आर्यों द्वारा हवन-यज्ञ कर संजीव राजौरा को दयानन्द-विभूति से किया सम्मानित।
समर इंडिया।धर्मवीर निगम।
ऊंचागांव।संवाददाता।
बुलंदशहर।
ऊंचागांव । क्षेत्र के गांव खन्दोई निवासी राजा हुलासी सिंह के यहां सन् 1867 में महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती ने प्रथम आगमन किया था।
उनके आगमन पर यूपी प्रवासी भारत रत्न अवार्ड से सम्मानित संजीव राजौरा के गांव में आचार्य योगेश कुमार शास्त्री ने हवन यज्ञ कर गांव की खुशहाली की कामना की। बुधवार को वैदिक प्रवक्ता आचार्य योगेश शास्त्री ने जनपद बुलन्दशहर की तहसील स्याना के ब्लॉक ऊंचागांव क्षेत्र के गांव खन्दोई में पहुंचे और उसके बाद क्षेत्र के लोगो ने भव्य स्वागत किया। सन् 1867 में महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती ने प्रथम आगमन किया था।
इसलिए शास्त्री ने क्षेत्र की खुशहाली के लिए हवन यज्ञ कर कामना की।
आचार्य योगेश शास्त्री ने कहा कि लुप्त पड़े इतिहास के तथ्यों से अवगत कराते हुए बताया कि 1867 ई० में महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती का आगमन गांव खन्दोई की पावन धरती पर हुआ था। गांव निवासी हुलासी सिंह जमीदार के यहां ठहरे थे। महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती के कहने पर गांव के लोगो को रहने के लिए 350 बीघा भूमि को दान किया था। इसलिए उन्हे राजा की उपाधि दी थी। 155 वर्ष बाद उनकी पांचवी पीढ़ी में यू.पी. प्रवासी भारतीय रत्न अवार्ड से सम्मानित संजीव राजौरा को राजा की उपाधि देते हुए क्षेत्र के लोगो ने पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया।
वेद पुराणों की पुस्तके भेंट की।
उसी दौरान संजीव राजौरा ने कहा कि हम सभी को अपने जीवन को बिना भय के जीना चाहिए अगर आप जनता के लिए कुछ कर सकते हो तो निडर होकर कीजिये मेरे लिए सब धर्मों के लोग एक समान हैं। मेरे द्वारा जितना भी समाज, क्षेत्र के लिए होगा मैं करूँगा। विदेश में भी रहकर अपनी भारतीय संस्कृति को भुला नही पाया हूँ।
इस अवसर पर आर्य समाज जहागीराबाद प्रधान नगेन्द्र रावल, वीरेन्द्र सिंह प्रोफेसर, जितेन्द्र राजौरा, धर्मपाल सिंह, हरेन्द्र सिंह, सत्यपाल मलिक, पुष्पेन्द्र तौमर, जितेन्द्र प्रधान, विनोद प्रधान, ब्रजपाल, जोगेन्द्र पोसवाल, पिन्टू प्रधान, निखिल राजौरा आदि सहित क्षेत्र के सर्व सम्मानित लोग मौजूद रहे।